तर्ज,मोरिया आछो बोलयो
भवानी आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।म्हारा चढ़ता उतरता दुखे पांव भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी निर्धन आवे थारे द्वार पे।द्वार पे।द्वार पे।वाने माया रो दिज्यों वरदान भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।म्हारा चढ़ता उतरता दुखे पांव भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी रोगी तो आवे थारे द्वार पे।द्वार पे।द्वार पे।वाने काया रो दिज्यों वरदान भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।म्हारा चढ़ता उतरता दुखे पांव भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी बांझन आवे थारे द्वार पे।द्वार पे।द्वार पे।वाने लाल रो दिज्यों वरदान भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।म्हारा चढ़ता उतरता दुखे पांव भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी कन्या तो आवे थारे द्वार पे।द्वार पे।द्वार पे।वाने वर को दिज्यों वरदान भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।म्हारा चढ़ता उतरता दुखे पांव भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी सेवक आए थारे द्वार पे।द्वार पे।द्वार पे।वारी नैया तो लगाए दिज्यो पार भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।
भवानी आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।म्हारा चढ़ता उतरता दुखे पांव भवानी,आच्छी बैठी ये ऊंचा पहाड़ पे।