बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे।बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देख।कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे।
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे।
हम सर दीन दयाल ना तुमसर्र,अब पतियार क्या कीजे।
हम सर दीन दयाल ना तुमसर्र,अब पतियार क्या कीजे।
व्चनि तोड़ मोर मन माने,जन को पूरण दीजे,जन को पूरण दीजे
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे।
हूउ बल बल जाओ ऊ,रमिया कारने,कारण कबन ना अबूल
हूउ बल बल जाओ ऊ,रमिया कारने,कारण कबन ना अबूल
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे।
मेरे प्रीत गोबिंद सो जन घाटे,मई तो मोल महँगी लाए जी सतह
साध संगत बिना पाओ ना उपजाए,पाव बिन भगत नही कोई तेरे
चित सिमरन को नैन अवलोक्नो,सरवन बानी सो जस्स पूरा राखो
मन सो मढ़ कर केरो चरण हृद्या तारो
रसन्न् अमृत राम नाम पाकू
बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे।
साध संगत बिना पाओ ना उपजाए,पाव बिन भगत नही कोई तेरे
कह रवि दस एक बीँती हेर स्यो,पहज रखो राजा राम मेरे
कह रवि दस एक बीँती हेर स्यो,पहज रखो राजा राम मेरे
कह रविदास आसा लग जीओ,चिर्र पयो दर्सन देखे,
चिर्र पयो दर्सन देखे, चिर्र पयो दर्सन देखे।बहुत जनम बिछड़े थे माधो एह जनम तुम्हारे लेखे।