तर्ज- गोरे रंग पे ना इतना गुमान
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी, पल भर में जादू कर जाएगी, गर फिर गई तेरे सर पे तो, गर फिर गई तेरे सर पे तो, हर बिगड़ी बात सवर जाएगी, मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी, पल भर में जादू कर जाएगी।
प्रेम का है भूखा, तू प्रेम मेरे सांवरे से कर जरा, आएगा ना कोई तेरे काम, बस मेरा श्याम आएगा सदा, गर जो झुकेगा सर ये तेरा, गर झुक जाए मस्तक तेरा, माथे की रेख बदल जाएगी, मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी, पल भर में जादू कर जाएगी।
दौड़ के आ जाए,श्याम को दिल से पुकारे है कभी, है ‘प्रकाश’ कहता, बिना श्याम के कोई काम मुमकिन है नहीं, उंगली पकड़ ली जबसे तेरी, जो उंगली पकड़ ली जबसे तेरी, मंजिल भी तुझको मिल जाएगी, मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी, पल भर में जादू कर जाएगी।
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी, पल भर में जादू कर जाएगी, गर फिर गई तेरे सर पे तो, गर फिर गई तेरे सर पे तो, हर बिगड़ी बात सवर जाएगी, मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी, पल भर में जादू कर जाएगी।
कर नहीं मैं सकता महिमा मेरे, घनश्याम की मुख से बयां, आज तक क्या देखा, कोई श्याम के दरबार से खाली गया, बंद पड़ी किस्मत भी यहाँ, तेरी बंद पड़ी किस्मत भी यहाँ, खुशियों की चाबी से खुल जाएगी, मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी, पल भर में जादू कर जाएगी।
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी, पल भर में जादू कर जाएगी, गर फिर गई तेरे सर पे तो, गर फिर गई तेरे सर पे तो, हर बिगड़ी बात सवर जाएगी, मेरे श्याम धनि की मोरछड़ी, पल भर में जादू कर जाएगी।