मैं लजपालाँ दे लड़ लगियाँ मेरे तों ग़म परे रहँदै ,मेरी आसाँ उमीद दे सदा बूटे हरे रहँदै।
ख़याल-ए-यार विच मैं मस्त रहनाँ, हाँ दिने रातीं मेरे दिल विच सजण वसदा, मेरे दीदे ठरे रहँद।मैं लजपालाँ दे लड़ लगियाँ मेरे तों ग़म परे रहँदै ,मेरी आसाँ उमीद दे सदा बूटे हरे रहँदै।
दुआ मँगिया करो, सँगियो कित्ते मुर्शिद न रुस जावे। जिन्हाँ दे पीर रुस जावण उह जियोंदे वी मरे रहँद।मैं लजपालाँ दे लड़ लगियाँ मेरे तों ग़म परे रहँदै ,मेरी आसाँ उमीद दे सदा बूटे हरे रहँदै।
इह पैंडा ‘इश्क़ दा औखा, इह टरने नाल मकनाँ ऐं उह मंज़िल नूँ नईं पा सकदे, जेहड़े बैठे घरे रहँदै।मैं लजपालाँ दे लड़ लगियाँ मेरे तों ग़म परे रहँदै ,मेरी आसाँ उमीद दे सदा बूटे हरे रहँदै।
कदी व लोड़ नई पैंदी मैनूँ दर दर ते जावण दी। मैं जपाल दा मँगता हाँ मेरे पल्ले भरे रहँद।मैं लजपालाँ दे लड़ लगियाँ मेरे तों ग़म परे रहँदै ,मेरी आसाँ उमीद दे सदा बूटे हरे रहँदै।
कदी व डुब नई सकदे उह चढ़दे पानियाँ अंदर जो ठलदे आसरे तेरे ओहो बेड़े तरे रहँदै।मैं लजपालाँ दे लड़ लगियाँ मेरे तों ग़म परे रहँदै ,मेरी आसाँ उमीद दे सदा बूटे हरे रहँदै।
नियाज़ी मैनूँ ग़म काहदा, मेरी निस्बत है ला-सानी किसे दे रहण जो बण के क़सम रब दी खरे रहँदै।मैं लजपालाँ दे लड़ लगियाँ मेरे तों ग़म परे रहँदै ,मेरी आसाँ उमीद दे सदा बूटे हरे रहँदै।