तर्ज, यह बंधन तो प्यार का बंधन है
जब जब भी दिल घबराता, कुछ नजर कहीं नहीं आता। मैं नाम तेरा ही लेकर, अपना हर वक्त बिताता। सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।
जब जब भी संकट आया जब जब भी विपदा आई। वो लीले चढ़कर आया और मोर छड़ी लहराई।। थी धूप गमों की सर पर, हाथों से कर दी छाया। हारे का साथ ही बनकर मेरा पल पल साथ निभाया।सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।
जीवन के अंधेरों में भी तेरे नाम की ज्योत जगाई। जब-जब भी गिरा में बाबा आ करके थामी कलाई। जब फसी भंवर में नैया तू माझी बनकर आया। जग ने तो फेरी आंखें पलकों पर तूने बिठाया।।सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।
जब तेरा साथ नहीं था कुछ भी मेरे पास नहीं था।कितनी भी मुसीबत आई मेरा विश्वास तूं ही था। जब से तेरी शरण में आया बिन मांगे सब कुछ पाया। तेरे भजनों से ही तो विकी ने नाम कमाया। सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।
जब जब भी दिल घबराता, कुछ नजर कहीं नहीं आता। मैं नाम तेरा ही लेकर, अपना हर वक्त बिताता। सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।सांवरे पर मुझे विश्वास है। जग की ना आस है।