तर्ज- मेहंदी राचण लागी हाथा में
म्हारी विनती सुनो जी, म्हारा श्याम धणी, म्हारे शीश पे लगा दो, थारी मोर छड़ी, अरदास लगावा मैं तो, घणी रे घणी, म्हारे शीश पे लगा दो, थारी मोर छड़ी।।
मोर छड़ी रे जब, सर पे लगेगी, बिगडयोरी सब बात बनेगी, श्याम रंग में रहूँगी, में तो बणी रे ठणी, म्हारा शीश पे लगा दो, थारी मोर छड़ी।।
मोर छड़ी ये जब, नैनो में लगेगी, काजल नहीं लाली, श्याम की रचेगी, दर्शण में करूँगी, बाबा घडी रे घडी, म्हारा शीश पे लगा दो, थारी मोर छड़ी ।।
मोर छड़ी जब, होंठो पे लगेगी, श्याम श्याम की, रटन लगेगी, सवर जाएगी बाबा, मेरी भी जिंदड़ी, म्हारा शीश पे लगा दो, थारी मोर छड़ी।।
मोर छड़ी ये, अवगुण हर लेगी, जन्मो जन्म ‘नम्रता’, दासी रहेगी, ‘अमृत; ने भी पटकी, चरणों में पगड़ी, म्हारा शीश पे लगा दो, थारी मोर छड़ी।।
म्हारी विनती सुनो जी, म्हारा श्याम धणी, म्हारे शीश पे लगा दो, थारी मोर छड़ी, अरदास लगावा मैं तो, घणी रे घणी, म्हारे शीश पे लगा दो, थारी मोर छड़ी।।