सूरज चाँद उगने से रह गया,धरती चाहे हिल जावे। आसमान स्थान छोड़ दे,अग्नि चाहे ठंडी हो जा,पृथ्वी से मिल आ जाये। पानी से जग जल जावे। हरी चंद सत छोड़ सके ना, चाहे प्राण निकल जावे।होनी आगे जोर चले ना, ईश्वर की लीला न्यारी। कौन किसी का बेटा बेटी, झूठी दुनिया दारी।
परमेशवर की अजब गति है,
पल में रास रचा दे। बस्ती खेड़ा उजड़ कर दे।
वन में शेर बसा दे। फिकर काक मग नाव तिरानी,तेरा धर्म निभाते है। दंड घाट का देखे रानी,रो रो के चाहे प्राण गवा दे,सुध की लाश जलाते है।सुनता कोण तुम्हारी। कौन किसी का बेटा बेटी, झूठी दुनिया दारी। कौन किसी ……
कैसे दंड चुकाउ में। केवे हरी चंद क्यों गबरावे,
मेरे पास पैसे दाम नहीं अब, एक उपाये बताऊ में। हरी नारायण शर्मा कहता, नाम हरी का गाउ में। आधा चीर दंड का देके,आधा चीर फाड् कर दे दे, तेरा काम जपाउ में।करी चीता की तैयारी। कौन किसी का बेटा बेटी,झूठी दुनिया दारी।
तब तक ही था नाता । ना अब बेटा तेरा राणी
ना तू उसकी माता। आवागम लगा दुनिया में,
अमर रहे ना जग में प्राणी,जब तक तन में प्राण बसे था, कोई आता कोई जाता। काल सभी ने खाता मरी लाश की आश छोड़ दे, रले कृष्ण मुरारी कौन किसी का बेटा बेटी, झूठी दुनिया दारी।