तर्ज – उड़े जब जब जुल्फें
जब आऊं मैं तेरे द्वारे
ओ जब आऊं मैं तेरे द्वारे
अरे ओ…ओ.. जब आऊं मैं तेरे द्वारे
ओ जब आऊं मैं तेरे द्वारे
कि तुझसे बातें मैं करूं,
कि तुझसे बातें मैं करूं ओ बाबा
तूभी मन की अपनी कह दे
तूभी मन की अपनी कह दे
कि तेरा मैं हाल सुनूं,
कि तेरा मैं हाल सुनूं ओ बाबा…..
ओ तेरी प्यारी प्यारी सूरत
ओ तेरी प्यारी प्यारी सूरत
ओ…ओ…तेरी प्यारी प्यारी सूरत
ओ तेरी प्यारी प्यारी सूरत
मन में घर कर गई
ओ मन में घर कर गई ओ बाबा
तेरी मंद मंद मुस्कानें
तेरी मंद मंद मुस्कानें
मन में उजाला कर गई
मन में उजाला कर गई ओ बाबा।
तुझे नजर ना लग जाए जग की,
ओ तुझे नजर ना लग जाए जग की
ओ…ओ… तुझे नजर ना लग जाए
ग की ओ तुझे नजर ना लग जाए जग की
नून राई वारूं सांवरे,
ओ नून राई वारूं सांवरे ओ बाबा
तुझे देखूं मुड़ मुड़ कर के
ओ तुझे देखूं मुड़ मुड़ कर के
कि मन नहीं भरे सांवरे
कि मन नहीं भरे सांवरे ओ बाबा।
श्रृंगार सजाया ऐसा
ओ श्रृंगार सजाया ऐसा
ओ…ओ…श्रृंगार सजाया ऐसा
ओ श्रृंगार सजाया ऐसा
कि सब कुछ फीका लागे रे,
कि सब कुछ फीका लागे रे ओ बाबा
चारो बाजू इतर छिड़का,
ओ चारो बाजू इतर छिड़का
कि महके दरबार सांवरे
कि महके दरबार सांवरे ओ बाबा।
ओ कभी घर भी मेरे आओ बाबा,
ओ कभी घर भी मेरे आओ बाबा
ओ…ओ…कभी घर भी मेरे आओ,
ओ कभी घर भी मेरे आओ
कि देखूं मैं तेरा रस्ता,
कि देखूं मैं तेरा रस्ता ओ बाबा
तुझे छप्पन भोग जीमाऊं,
तुझे पान का बीड़ा खिलाऊं
कि तेरी मनुहार मैं करूं,
कि तेरी मनुहार मैं करूं ओ बाबा।
ओ सुना सुना लागे तुझ बिन
ओ सुना सुना लागे तुझ बिन
ओ…ओ…ओ सुना सुना लागे तुझ बिन
ओ सुना सुना लागे तुझ बिन
कि संग मुझे ले ले सांवरे
कि संग मुझे ले ले सांवरे ओ बाबा
मन्नू की यही विनती, तेरे भगतां की यही विनती
अब और ना सता सांवरे कि तुझ बिन रह न सकूं ओ बाबा।