सजन म्हारा घर आवो मेहमान , दीजो मोहे आदर दान, पियाजी घर आवो मेहमान ॥
मैं जाण्यो सुख होसी रे, प्रीत की मैं जाण । अब मुझको मालूम पड़ी रे, निकली दुखरी खाण, पियाजी घर आवो मेहमान ॥
पंख बिना पंखेरू पड़िया धरण पर, किस विधि उड़े असमान । सजन मेहर लहर कर देवो, आण मिलूं आसान, पियाजी घर आवो मेहमान ॥
मछली जीव पपीहा प्यासा, जळ बिन तज दे प्राण पतिवरता राजी उर अन्दर, जद मिलसी पीव निदान, पियाजी घर आवो मेहमान ॥
आप समुद्र में तरंग तुम्हारी, मैं गोपी तू कान्ह आप ब्रह्म मैं इच्छा तुम्हारी, अब लीजो मोहि जाण, पियाजी घर आवो मेहमान ॥
विरह सुणो थे बेगा आइजो, कर मुझ पर अहसान । सिमरथ कण्ठ लगाय के रे, कीजो आप समान, पियाजी घर आवो मेहमान ॥
सजन म्हारा घर आवो मेहमान , दीजो मोहे आदर दान, पियाजी घर आवो मेहमान ॥