चुग चुग फुलड़ा लावे सखि म्हारे, सेज बिछावे रे। कृष्ण बिना म्हारे काँटा लागे,नींद नहीं आवे रे , म्हारो हिरो सूनो राम बिना म्हने,चैन नहीं आवे रे। चैन नहीं आवे रे राम बिना,चैन नहीं आवे रे म्हारो हिरो सूनो राम बिना,चैन नहीं आवे रे ॥
रूच रूच भोजन परोसिया सखि म्हने, कोंहि जिमावे रे कृष्ण बिना म्हने लागे अलूणा, धान नहीं भावे रे।म्हारो हिरो सूनो राम बिना म्हने,चैन नहीं आवे रे। चैन नहीं आवे रे राम बिना,चैन नहीं आवे रे म्हारो हिरो सूनो राम बिना,चैन नहीं आवे रे ॥
क्या कहूँ सखि कयो नी जावे, विरह सतावे रे। ऐसा मिले कोई संत उपदेशी, राम मिळावे रे ।म्हारो हिरो सूनो राम बिना म्हने,चैन नहीं आवे रे। चैन नहीं आवे रे राम बिना,चैन नहीं आवे रे म्हारो हिरो सूनो राम बिना,चैन नहीं आवे रे ॥
हीरापुरी गुरु सामरथ मिळिया, वे समझावे रे निर्भयपुरी सतगुरु जी रे शरणे, मोक्ष पावे रे।म्हारो हिरो सूनो राम बिना म्हने,चैन नहीं आवे रे। चैन नहीं आवे रे राम बिना,चैन नहीं आवे रे म्हारो हिरो सूनो राम बिना,चैन नहीं आवे रे ॥