खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।और बैठी यशोदा माता।और बैठी यशोदा माता।खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।
इसके मुकुट में चंदा साजे। कान्हा इधर-उधर ने भागे। चुप-चुप मैया रही है देख यूं तो माटी भी है खाता। खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।
सब देखें चाची ताई क्या सूरत इसने पाई। यो आवे बार-बार मेरी गोदी यो तो सबके मन को भाता। खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।
कान्हा खुश हो माखन खावे और मंद मंद मुस्कावे। यो तो माखन और माटी ने अपने मुख पर ही लाता। खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।
इस त्रिलोकी की माया मन देख-देख हरसाया।हो इनको रहूं देखता मैं तो यही दास बिजेंदर चाहता।खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।खेले आंगन में गोपाल और बैठी यशोदा माता।