जोगीड़े ने जादू कीनो रे, म्हारो तन मन बांधे लीनो रे ॥
अन पाणी म्हने कछु ना भावे, पल-पल छिन छिन याद सतावे दुनियाँ तो लागे म्हाने खारी रे, म्हारो हिरो प्रेम सूं भीनो रे ॥जोगीड़े ने जादू कीनो रे, म्हारो तन मन बांधे लीनो रे ॥
विरह अग्नि तन बिच लागी, भेदभाव भरमना भागी । म्हारे चढगी प्रेम खुमारी रे, म्हें तो प्यालो प्रेम को पीनो रे ।जोगीड़े ने जादू कीनो रे, म्हारो तन मन बांधे लीनो रे ॥
रैण – दिवस म्हाने नींद नी आवे, घायल मृग ज्यूं विरह सतावे । शब्द कटारी मारी रे म्हारो पींजर घायल कीनो रे ॥जोगीड़े ने जादू कीनो रे, म्हारो तन मन बांधे लीनो रे ॥
मोर मुकुट अगल बिच माळा, म्हाने तो मिल गया नंदजी रा लाला बाई सुआ ने तारी रे, ज्यां रो जनम सफल कर दीनो रे ॥जोगीड़े ने जादू कीनो रे, म्हारो तन मन बांधे लीनो रे ॥