जाजो जाजो रे,
भाई म्हारा जाजो
इना समुन्दर पार,
मोतीड़ा लाजो रे साधो,
अणबीन्दिया
मिल गया मिल गया रे,
हीरा मिल गया
मिल गया लख दोई चार,
मन का मोती रे साधो,
ना मिल्या ।
मिल ल्यो मिल ल्यो रे,
लंबी बांह पसार
अब के बिछड़या रे साधो,
कद मिलांगा जी
उड़ गयी उड़ गयी रे,
इना बन की चिडि़या
अपना मंदर वासा फ़िर किया जी
पड़ गयी पड़ गयी रे,
इना मायला में गांठ
डोरी टूटे रे गांठण,
ना छूटे हो जी
फ़ाट्या फ़ाट्या रे,
सूर्या गाय का दूध
दूध फ़ाटे से जामण,
ना जमे हो जी
बोल्या बोल्या रे,
बोल्या धारू प्रहलाद
जुग जुग मिलो
इना साधू को हो जी