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राम भजन लिरिक्स

Maan re ravan abhimani Maya raghuwar ki na jani,मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी

मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी


कुटी में लक्ष्मण जी होते ऐ प्राण तेरा श्रण मे हर लेते। ये मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी। कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते। मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जान।



मे पत्नी हूं श्री राम की ओर वो त्रिलोकी नाथ। किस कारण तू दुष्ट ने पकड़ा मेरा हाथ।
ये बोला था भिक्षुक की वाणी, माया रघुवर की ना जानी। कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते। मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी।



हाय लखन को भेज कर ओर पड़ी दुस्ट के फंद। लखन गया रावण आया बहुत हुआ विलम्ब।जटायु सुण था वाणी, माया रघुवर की ना जानी।कुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी।



तो रावण पहुचा लंक मे सीता को बाग उतार ।सीता सोच करे मन मे आप जाणो रघुनाथ ।
ओ सुन रे पेड़ पक्षी ज्ञानी माया रघुवर की ना जानी। मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानीकुटी मे लक्ष्मण जी होते प्राण तेरा श्रण मे हर लेते। मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी।



तुलसी दास की विनती थे सुणजो सिरजनहार सीता अन्न जल नही लेवे कीजो नाथ उपाय ।
नाथ मेरे यही अर्ज जानी माया रघुवर की ना जानी। कुटी मे लक्ष्मण जी होते यहो प्राण तेरा श्रण मे हर लेते। मान रे रावण अभिमानी माया रघुवर की ना जानी

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