तर्ज, मायन मायन
ग्यारस के दिन, इन आँखों से, उड़ गयी निंदिया रानी, बारस के दिन, सुबह सुबह, मेरी आँख से टपका पानी, बाबा तेरी याद आ गयी।
खाटू माही डट के बैठा, मोर छड़ी ले प्यारी, इन आँखों के आगे घूमे, बाबा छबी तुम्हारी। तेरी याद में, खाटू वाले, सारी रात ना सोया ।कैसे आउ पास तुम्हारे, फुट फुट कर रोया। बाबा तेरी याद आ गयी।
मंदरि में दो, भजन सुनाना, तेरे दर्शन करना। तेरे गांव के भगतो के संग, कई दिनों तक रहना। चाहे जीतनी, कोशिश कर लू, तुमको भूल ना पाउ। सारे दुखड़े, सह लेता हु, ये दुक्ख सह ना पाउ। बाबा तेरी याद आ गई।
अब तो दिल में, आश यही है, हो दीदार तुम्हारा। सपना पूरा हो जाये बस ये अरमान हमारा।जितनी जल्दी हो जाये बाबा, खाटू मुझे बुलाले ।दर्शन देकर, इस बेटे को अपने गले लगाले। बाबा तेरी याद आ गयी।
ग्यारस के दनि, इन आँखों से, उड़ गयी निंदिया रानी, बारस के दिन, सुबह सुबह, मेरी आँख से टपका पानी, बाबा तेरी याद आ गयी।