गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान। अरे रुकमणी करे पुकार,गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।
नैनों की पाती बनाई आंसू कलम दवाद। लिख लिख पाती द्वारिका भेजी जल्दी आइए श्याम। गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।
अंबिका पूजन रुकमणी चाली भर मोतियांन से थाल। हाथ पकड़े रथ में बैठाली ले गया द्वारका का नाथ।गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।
कुंदनपुर में शोर मचा है रुकमणी ले गए श्याम। माता उसकी रुदन मचावे नहीं किया रे कन्यादान। गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।
पाछे से रुकमनिया चाला ठाड़े रहियो श्याम। मेरी बहन को कहां ले जावे गईयों का यह ग्वाल।गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।
रुकमनिया ने रथ के बांधा घिसता घिसता जाय। हाथ जोड़कर रुक्मण बोली माफ करो भगवान।गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।
द्वारकापुरी में आनंद छाया रुकमणी लाया श्याम। सारी सखियां मंगल गावे हो रही जय जयकार। गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।गरुड़ चड़ मेरे घर आईयो भगवान।