भर आई राधा की अखियां बरसत आठो याम। अब तो आई मिलो घनश्याम।अब तो आई मिलो घनश्याम।
अब आजा सांवरिया आजा सांवरिया।आजा सांवरिया आजा सांवरिया।आजा सांवरिया आजा सांवरिया।आजा सांवरिया आजा सांवरिया।अब तो आई मिलो घनश्याम।अब तो आई मिलो घनश्याम।
हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि, अब तो आई मिलो घनश्याम।अब तो आई मिलो घनश्याम।
बरसों बीत चले बनवारी, बही ना हाए वो रस धारा। फीका फीका चंदा लागे सुना त्रिभुवन सारा। रस विहीन कोकिल की बोली,और चणक स्वर है खारा।नीलमणि बिन कहां तरंगे,शांत यमुना जल धारा।नीरव नभ निकुंज सब जर्जर,और श्री हीन व्रज धाम।अब तो आई मिलो घनश्याम।अब तो आई मिलो घनश्याम।
भर आई राधा की अखियां बरसत आठो याम। अब तो आई मिलो घनश्याम।अब तो आई मिलो घनश्याम।
हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि, हे हरि, अब तो आई मिलो घनश्याम।अब तो आई मिलो घनश्याम।
इतनी लंबी रूठ अहो कुछ कारण तो बतलाओ।तेरा ही अपने है ये तो अब आओ सजन अपनाओ।फिरहों छेड़े फिर हो राते, प्यारे फिर चंदा चमकाओ।प्यारे फिर हो राते फिर हो बाते, फिर बांसुरी बजाओ। नैनों में बस जाओ प्यारे, हे नैनन अब रहो।
भर आई राधा की अखियां बरसत आठो याम। अब तो आई मिलो घनश्याम।अब तो आई मिलो घनश्याम।
आजा सवारिया,आजा सवारिया,आजा सवारिया,आजा सवारिया,आजा सवारिया,अब तो आई मिलो घनश्याम।अब तो आई मिलो घनश्याम।
जब से तुम गए मनमोहन इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया।हो चांद भी निकले फीका फीका तारों ने चमकना छोड़ दिया। जब तुम थे प्यारे ब्रज में बेरुत ही बहार आती थी। मौसम बहारों ने भी अब फूलों ने महकना छोड़ दिया। जब से तुम गए मनमोहन इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया।
भर आई राधा की अखियां बरसत आठो याम। अब तो आई मिलो घनश्याम।अब तो आई मिलो घनश्याम।