कैसे गिने कोई एहसान तेरे सांसे कम पड़ जाती है।तेरी कृपा को याद करूं जब आंखे नम हो जाती है।
दुनियां की इस भीड़ में तन्हा खुद को अकेला जब पाया।साथ निभाया तुमने बाबा इस निर्धन को अपनाया।तेरी बदौलत खुशियों में,आंगन में इतराती है।
कैसे गिने कोई एहसान तेरे सांसे कम पड़ जाती है।तेरी कृपा को याद करूं जब आंखे नम हो जाती है।
रोज दिखाते ख्वाब नया तुम रोज ही पूरा करते हो।खड़े सिराने पर पे मेरे,सिर पे हाथ को धरते हो।इस अहसान से हारे हुवे की हिम्मत प्रभु बढ़ जाती है।
कैसे गिने कोई एहसान तेरे सांसे कम पड़ जाती है।तेरी कृपा को याद करूं जब आंखे नम हो जाती है।
इतना पाकर में क्यों रोऊं,रोकर मान घटाऊं क्यों।था जिस लायक तुम को पाया,दिल को तो में समझाऊं क्यों।ना समझों को मेरी बाते बाबा समझ न आती है।
कैसे गिने कोई एहसान तेरे सांसे कम पड़ जाती है।तेरी कृपा को याद करूं जब आंखे नम हो जाती है।
जब जब जीवन मिले ये मुझको बाबा तेरा प्यार मिले।तेरी सेवा तेरी पूजा तेरा ही दरबार मिले।संजय कुंदन सा चमके जब रोमी की नजर पड़ जाती है।
कैसे गिने कोई एहसान तेरे सांसे कम पड़ जाती है।तेरी कृपा को याद करूं जब आंखे नम हो जाती है।