तुझसे विनती करूँ, पैर तेर पड़ूं, लाज बचा ले।
मोहन अपने गले से लगा ले।
दुष्ट दूसासन खीचे है सारी।
आके लज्जा बचा ले हमारी।
मेरी अस्मत लुटे, भारी जिया घुटे, चीर बढ़ा ले।
मोहन अपने गले से लगा ले।तुझसे विनती करूँ, पैर तेर पड़ूं, लाज बचा ले।
मोहन अपने गले से लगा ले।
बैठे पाँचौ पती सिर झुकाये।
कोई इससे न मुझको बचाये।
बल को धिक्कार है, नैया मजझार है, दृष्टि गढ़ा ले।।
मोहन अपने गले से लगा ले।तुझसे विनती करूँ, पैर तेर पड़ूं, लाज बचा ले।
मोहन अपने गले से लगा ले।
सुनता क्यों ना अरज मेरी मोहन ।
आज अबला का होता है दोहन।
लज्जा जाये मेरी, क्यों लगाता देरी, सत जचा ले।
मोहन अपने गले से लगा ले।तुझसे विनती करूँ, पैर तेर पड़ूं, लाज बचा ले।
मोहन अपने गले से लगा ले।
मुझसे ऐसी हुई क्या खता है।
आकर मुझको तो दो ये बता है।
महावीर शर्मा कहें, ये हर्दपुर रहे, धूम मचा ले।
मोहन अपने गले से लगा ले।तुझसे विनती करूँ, पैर तेर पड़ूं, लाज बचा ले।
मोहन अपने गले से लगा ले।