रास रचैया कृष्ण कन्हैया छुप गए हो किस ओर,
मुरली वाले बंसी बजैया ढूंढूं मैं चितचोर।
नदिया किनारे कही सांवरे की बंसी बाजी,
राधा रानी व्याकुल खड़ी सारा दिन रहें तकी,
अधरो ने घोली धुन चित श्याम रंग में गम ,
कान्हा कहा हो श्याम रे….
नैनो से चुपके हो पर मन में रहते हो,
सामने आओ सांवरे हाए कान्हा कहा हो श्याम रे…..
जग की माया, छोड़ छाड़ के सांवरे मिलने चली आई,
लोग पुकारे बनवारी मुझको पाने को पागल हूं तेरी परछाई….
तेरे खड़ी गुमसुम चित प्रेम रंग में गम,
कान्हा कहा हो श्याम रे….