दाता को दरबार देखो कितनों सुखदाई है। आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।
चुके मत रे बावलिया तू घरा पड़या मत सोवे।मानस काया ने सो सो कर व्यर्थ मता तूं खोवे। बड़े भाग्य से श्याम धनी की ग्यारस आई है। आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।
या ही जोत सुखां की देवा या हि कष्ट मिटाए। मन को मेल मिटा ले आकर क्यों इतना भरमावे। चांदन की ग्यारस ने जागी जोत सवाई हैं। आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।
श्याम नाम का हीरा मोती या नित की बरसावे। झोली भर भर बिन पीसा ही आवानियो ले जावे। लखदाता की ज्योत आज बाटे सकलायी है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।
महल मालिया माल खजाना कोई साथ ना जाव। भजन भाव ही अंत समय में बेडो पार लगावे।करतब से ही मिले बुराई और भलाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।
सोने बरगी काया के तूं मत ना धूल लगावे। श्याम बगीची सींच सींच के क्यों न फूल खिलावे। धर्म-कर्म की लीक बावला क्यों बिसराई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।
श्याम मंडल या जोत निरखबा सबने रोज बुलावे। आंख्या में भर जोत की छबि महिमा रोज सुनावे।आवानिया के ताई पलका इंदु बिछाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।
दाता को दरबार देखो कितनों सुखदाई है। आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।आज म्हारे श्याम जी की ज्योत जगाई है।