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श्याम भजन लिरिक्स

Me na tha kisi kaam ka,मैं ना था किसी काम का बन ना सका मैं श्याम का,

मैं ना था किसी काम का, बन ना सका मैं श्याम का,

मैं ना था किसी काम का, बन ना सका मैं श्याम का, पर इसने प्रबंध किया है, पर इसने प्रबंध किया है,मेरे हर आराम का,मै ना था किसी काम का,बन ना सका मैं श्याम का ।।



कभी मैं देखू खुद को, कभी मैं देखूं इनकी रहमत हम जैसों के लिए उठाता, कौन है इतनी जहमत, जिसका कोई वजूद ना होता, जिसका कोई वजूद ना होता, वो बन जाता काम का, मैना था किसी काम का, बन ना सका मैं श्याम का।।

देखी कई अदालत श्याम सी, देखी ना कोई अदालत, पहली बार में न्याय चुकाता, करनी ना पड़ती वकालत, न्याय सदा ही सांचा होता, न्याय सदा ही सांचा होता, खाटू वाले श्याम का, मैना था किसी काम का, बन ना सका मैं श्याम का।।



जिनका कोई नही है अपना, श्याम को वो अजमाले, सिर पे हाथ रहेगा श्याम का, श्याम भजन तू गाले, ऐसा झूमेगा पीकर तू ऐसा झूमेगा पीकर तू, श्याम नाम के जाम का, मैना था किसी काम का, बन ना सका मैं श्याम का ।।

मैं ना था किसी काम का, बन ना सका मैं श्याम का, पर इसने प्रबंध किया है, पर इसने प्रबंध किया है,मेरे हर आराम का,मै ना था किसी काम का,बन ना सका मैं श्याम का ।।

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