तर्ज, झूठ बोले कौवा काटे
रास्ता रोके पाप लागे मेरे कान्हा से डरियो। मैं गिरधर के संग जाऊंगी तुम देखते रहियो। मैं गिरधर के संग नाचूंगी तुम देखते रहीयो।
तुम गिरधर के संग नाचोगी मैं जहर का प्याला भेजूंगा। तु जहर का प्याला भेजेगा मैं अमृत कर पी जाऊंगी।मैं अमृत कर पी जाऊंगी।मैं अमृत कर पी जाऊंगी।
रास्ता रोके पाप लागे मेरे कान्हा से डरियो। मैं गिरधर के संग जाऊंगी तुम देखते रहियो। मैं गिरधर के संग नाचूंगी तुम देखते रहीयो।
तू गिरधर के संग नाचेगी मैं सर्प पिटारा भेजूंगा। तूं सर्प पिटारा भेजेगा मैं हार गले में डालूंगी। मैं हार गले में डालूंगी।
रास्ता रोके पाप लागे मेरे कान्हा से डरियो। मैं गिरधर के संग जाऊंगी तुम देखते रहियो। मैं गिरधर के संग नाचूंगी तुम देखते रहीयो।
तू गिरधर के संग नाचेगी मैं कपड़े जेवर ले लूंगा। मैं कपड़े जेवर ले लूंगा। तुम कपड़े जेवर ले लेगा मैं भगवा कपड़े पहनूंगी। मैं भगवा कपड़े पहनूंगी।
रास्ता रोके पाप लागे मेरे कान्हा से डरियो। मैं गिरधर के संग जाऊंगी तुम देखते रहियो। मैं गिरधर के संग नाचूंगी तुम देखते रहीयो।
तुम गिरधर के संग नाचेगी मैं महलों से निकालूंगा। मैं महलों से निकालूंगा। तू महलों से निकालेगा मैं गुरुद्वारे चली जाऊंगी। तू महलों से निकालेगा मैं गोकुल में चली जाऊंगी।
तू गोकुल में चली जाएगी मैं पीछे-पीछे आऊंगा। तू पीछे-पीछे आएगा मैं श्याम रंग रंग जाऊंगी।मैं श्याम रंग रंग जाऊंगी।मैं श्याम रंग रंग जाऊंगी।
रास्ता रोके पाप लागे मेरे कान्हा से डरियो। मैं गिरधर के संग जाऊंगी तुम देखते रहियो। मैं गिरधर के संग नाचूंगी तुम देखते रहीयो।