पार्वती के जीवन मे,
पड़े भोलेनाथ के पाँव,
विचित्र हुये है देखो,
पार्वती के मन के भाव।
तुम भोले शंकर किधर से आए,
आते ही गौरा के मन मे समाए,
तुम भोले शंकर किधर से आए ,
आते ही गौरा के मन मे समाए ,
तुम्हे जब निहारे मन सम्हल ना पाए,
तुम्हे जब निहारे मन सम्हल ना पाए..
तुम तीनो लोक के स्वामी ,
सुन ले अबकी इक वारी अरज़ हमारी ,
के नाता जन्मो का तुमसे,
मन ही मन ये सोच लिया,
के नाता जन्मो का तुमसे,
मन ही मन ये सोच लिया।
प्रेम हुआ मुझे सखी समझाए
पानी ना भोजन अब मोहे भाए ,
प्रेम हुआ मुझे सखी समझाए,
पानी ना भोजन अब मोहे भाए..
करू क्या हाथो से मन निकला जाए,
करू क्या हाथो से मन निकला जाए,
तुम तीनो लोक के स्वामी,
सुन ले अबकी इक वारी अरज़ हमारी,
के नाता जन्मो का तुमसे
मन ही मन ये सोच लिया,
के नाता जन्मो का तुमसे
मन ही मन ये सोच लिय।
पार्वती के जीवन मे,
पड़े भोलेनाथ के पाँव,
विचित्र हुये है देखो,
पार्वती के मन के भाव।