कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते है
जो झपके न ऐसी पलक चाहते है।
तुम्हारे खयालो में बीते ये जीवन
तुम्हारे ही चरणो में होए मगन हम
तुम्हे देखने की ललक चाहते है॥जो झपके न ऐसी पलक चाहते है। कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते है
जो झपके न ऐसी पलक चाहते है।
नहीं रौशनी चाँद सूरज की चाहते
नहीं चांदनी की माला ही बाटे
तुम्हारे मुकुट की चमक चाहते है.॥जो झपके न ऐसी पलक चाहते है। कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते है
जो झपके न ऐसी पलक चाहते है।
थकू न कभी श्याम गुण तेरे गाते
ये संसार के गीत अब न सुहाते
नुपुर की बस अब झनक चाहते है ॥जो झपके न ऐसी पलक चाहते है। कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते है
जो झपके न ऐसी पलक चाहते है।
सब कुछ है तेरा तुम प्रियतम मेरे हो
बेबस से फिर काहे ऐसे अलग हो
मिटे न कभी वो तलब चाहते है ॥ जो झपके न ऐसी पलक चाहते है। कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते है
जो झपके न ऐसी पलक चाहते है।