(तर्जः सुण सुण रे म्हारा )
सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सुन रे,म्हारा प्यारा नंदलाला, बागां रो मोरयो बणाय दीजै, मंदिरिया मं म्हाने नचाय लीजै ॥
चुन-चुन फुलड़ा हार बनाऊं, सांवरिया की बंसी नीली पांखा सु सजाऊं, मोर पंख माथे पे सजाय लीजे ॥मंदिरिया मं म्हाने नचाय लीजै ॥
सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सु रे,म्हारा प्यारा नंदलाला, बागां रो मोरयो बणाय दीजै, मंदिरिया मं म्हाने नचाय लीजै ॥
भर चोंच खीर पुड़ी तन्न मं खिलाऊं, सांवरिया की जुठण मं तो चुग-चुग खाऊं,जुठो पाणी थांरो पिलाय दीजै ॥मंदिरिया मं म्हाने नचाय लीजै ॥
सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सु रे,म्हारा प्यारा नंदलाला, बागां रो मोरयो बणाय दीजै, मंदिरिया मं म्हाने नचाय लीजै ॥
पीहू-पीहू करके मीठा भजन सुनाऊँ, पंख फैलाकर तन्न नाच के दिखाऊँ, “केशव” न सेवकियो बणाय लीजै ॥मंदिरिया मं म्हाने नचाय लीजै ॥
सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सुण रे, सुण सु रे,म्हारा प्यारा नंदलाला, बागां रो मोरयो बणाय दीजै, मंदिरिया मं म्हाने नचाय लीजै ॥