रखते हिसाब नहीं देते तोल के
बाटते खजाने शिव दिल को खोल के।
पीछे हटे नहीं देके वरदान
मेरे गिरिजा पति सा दयावान नहीं जी
कोई काशी पति सा दयावान नहीं जी।
सब पे ही दया मेरे भोले नाथ कर्ता
देके वरदान मुश्किल में भी फसते
भस्म सुर क्या तुम्हें ज्ञान नहीं
गिरिजा पति सा दयावान नहीं जी
कोई काशी पति सा दयावान नहीं जी
मेरे गिरिजा पति सा दयावान नहीं जी।।
लंका सोने की दान रावन को करदी
झोली गंगा देके भगीरथ की भरी
भोले शिव का किसी पर एहसान नहीं
कोई काशी पति सा दयावान नहीं जी
मेरे गिरिजा पति सा दयावान नहीं जी।।
देवो में देव है शिव शंभू है निराले
पीठे ना नाथ मेरे विष के जो प्यारे
होता ना ये आज जहां नहीं
कोई काशी पति सा दयावान नहीं जी
मेरे गिरिजा पति सा दयावान नहीं जी।।
राम कुमार ने गुन तेरा गया
रघुवंशी तेरी शरण में आया
होने देता कभी परेशान नहीं
कोई काशी पति सा दयावान नहीं जी
मेरे गिरिजा पति सा दयावान नहीं जी।।