तर्ज- आने से उसके आए बहार
भक्तों की नैया के खेवनहार, बल और बुद्धि का है भण्डार, बड़ा बलवाला है मेरा बजरंगी,
अंजनी का लाला है मेरा बजरंगी ।।
काँधे जनेऊ सोहे, और हाथों में सुन्दर है घोटा, बाहों में बाजूबंद, और पहना है लाल लंगोटा, माथे पे सोहे तिलक, और कानों में बाला है, मेरा बजरंगी, अंजनी का लाला है मेरा बजरंगी ।।
अहिरावण से कपि ने छुड़ाया, बालापन में इसने,राम और लखन को, सूरज को मुख में दबाया, तब से ही नाम पड़ा, अंजनी का लाला है मेरा बजरंगी ।।बजरंग बाला है, मेरा बजरंगी,
लाकर संजीवनी बूटी,तूने लक्ष्मण के प्राण बचाया, सागर को लाँघ करके, तूने सीता का पता लगाया, सोने की लंका को, फूँक ही डाला है, मेरा बजरंगी, अंजनी का लाला है मेरा बजरंगी ।।
ना ज्ञान ध्यान मुझमें, मैं हूँ अंजान निपट अनाड़ी, अनेकों भक्त तारे, कब आएगी “परशुराम ” की बारी, श्रीमानस मण्डल, की करता सदा रखवाला है, मेरा बजरंगी, अंजनी का लाला है मेरा बजरंगी ।।
भक्तों की नैया के खेवनहार, बल और बुद्धि का है भण्डार, बड़ा बलवाला है मेरा बजरंगी,
अंजनी का लाला है मेरा बजरंगी ।।