तेरे दर्शन बिन हम जी नहीं पाएंगे
प्रेमी अपनी अर्ज़ी प्रभु कैसे लगाएंगे
जब द्वार पे जाकर के तुझे देख ना पाएंगे ।
तेरी आदत मेरे श्याम तूने खुद ही लगाईं है
ये प्रेम बढाकर के तुमने क्यों दूरी बधाई है
तेरे दर्शन बिन हे श्याम हम जी नहीं पाएंगे
जब द्वार पे जाकर के तुझे देख ना पाएंगे
प्रेमी अपनी अर्ज़ी ……………
तेरी चौखट पे बाबा जब कदम बढ़ाते हैं
देख के तुझको मनमोहन सब कुछ पा जाते हैं
तेरी करुणा का अमृत बोलो कैसे पाएंगे
जब द्वार पे जाकर के तुझे देख ना पाएंगे
प्रेमी अपनी अर्ज़ी ……………
बैंठ के तुम मंदिर में प्यारे रह नहीं पाओगे
अपना द्वार के पट जब खुद ही बंद कराओगे
पंकज तेरी खातिर सब कुछ कर जाएंगे
जब द्वार पे जाकर के तुझे देख ना पाएंगे
प्रेमी अपनी अर्ज़ी ……………