तर्ज, राधे तेरे चरणों की
श्यामा मां जो तेरी पद रज ही मिल जाए। संसार की कौन कहे मन मुक्ति हूं ठुकराए।
जा पद रज पावन को ब्रह्मा भी तरसते हैं। वह पद रज को पाकर लालाहुं बली बली जाए।श्यामा मां जो तेरी पद रज ही मिल जाए। संसार की कौन कहे मन मुक्ति हूं ठुकराए।
इस दासी की श्यामा बस एक अभिलाषा है। सेवा के सिवा कोई इच्छा नहीं रही पाए। श्यामा मां जो तेरी पद रज ही मिल जाए। संसार की कौन कहे मन मुक्ति हूं ठुकराए।
तुम्हारी महिमा श्यामा श्यामहूं नहीं जान सके। धरी रूप अनंत थके नहीं और छोर पाए।श्यामा मां जो तेरी पद रज ही मिल जाए। संसार की कौन कहे मन मुक्ति हूं ठुकराए।
कोऊ साधन बल तुमरी पद रज नहीं पाई सके।।बिनु हेतु कृपालू तुम्हे तुमरे जन बतलाए।श्यामा मां जो तेरी पद रज ही मिल जाए। संसार की कौन कहे मन मुक्ति हूं ठुकराए।
श्यामा मां जो तेरी पद रज ही मिल जाए। संसार की कौन कहे मन मुक्ति हूं ठुकराए।