साथनिया म्हारी रात को,सपनो तो म्हाने यू आयो ।
सपनो आयो ए सखी, देख्यो एक लंगूर, तोड़ दिया सब रुखड़ा, कर दिया चकनाचूर, मैं या साची जानी, छोटो सो बंदर यो लंका जला जासी, साथणिया म्हारी रात को, सपनो तो म्हाने यू आयो । ।
अब लंका सारी जल,दिखे ज्यूँ समशान, घर घर हाहाकार मची, रुधन करे तमाम, थे या साची जानो, सपना की बात तो साची हो जासी, साथणिया म्हारी रात को, सपनो तो म्हाने यू आयो ।
सेतु बांध कर आसी पिया, आसी श्री जगदीश, शरण विभीषण राखसी, पिया कटसी तुम्हारी शीस, थे या साची जानो, बाता ही बात में कबीलो कट जासी, साथणिया म्हारी रात को, सपनो तो म्हाने यू आयो ।
सपनो साची होवसी, पिया सुन रावण मेरी बात, जाकर देवो जानकी, पिया जोडू दोनों हाथ, थे या साची जानो, सारि लंका को दुखड़ो तो सारो मिट जासी, साथणिया म्हारी रात को, सपनो तो म्हाने यू आयो ।
बजरंग मंडल यू कहे, सुनो सभी चित लाय, बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताय, थे जूठी मत जानो, लंका को राजा विभीषण हो जासी, साथणिया म्हारी रात को, सपनो तो म्हाने यू आयो ।।