तर्ज – कान्हूडा लाल घड़लो म्हारो भरदे रै
शिवशंकर भोळा, म्हारै कानी झांको जी,
हो, अटकी गाड़ी नै मेरी हाँको जी ।।शिवशंकर भोळा, म्हारै कानी झांको जी,
हो,
थारी लगन म्हारै, थारो भरोसो,
शरणागत नै, आप ही पोसो,
महर करयां ही पीसी, नाको जी ।।
शिवशंकर भोळा, म्हारै कानी झांको जी,
हो,
औघड़दानी थानै, जगत बतावै,
थां बिन नैया, कुण पार लगावै,
सम्बल भोळा म्हानै, थांको जी ।।
शिवशंकर भोळा, म्हारै कानी झांको जी,
हो,
पलक उघाड़ो बाबा, आतुर मन है,
शिव त्रिपुरारी तो, धुन मं मगन है,
गौरी को कंथ बड़ो, बाँको जी ।।
शिवशंकर भोळा, म्हारै कानी झांको जी,
हो,
श्यामबहादुर अरज़ लगाई,
दुखिया दिल की, थे ही दवाई,
बालकीयां की पत, राखो जी ।।
शिवशंकर भोळा, म्हारै कानी झांको जी,
हो,
शिवशंकर भोळा, म्हारै कानी झांको जी,
हो, अटकी गाड़ी नै मेरी हाँको जी ।।शिवशंकर भोळा, म्हारै कानी झांको जी,
हो,