रंग लेकर दौड़े हनुमान जी राम जी उठ कर भागे।रंग लेकर दौड़े हनुमान जी राम जी उठ कर भागे।
भेष निराला कभी मतवाला। धन्य अयोध्या के भाग्य विशाला। भक्तों की मनसा मापे हनुमान जी,राम जी उठ कर भागे।रंग लेकर दौड़े हनुमान जी राम जी उठ कर भागे।
मेघ से बोले कपी जल बरसाओ। इंद्र फटाफट रंगु घुलवाओ।नभ में समुद्र देव जल भिजवाओ।अवध की होली में हाथ बंटाओ। देख हनुमत की अद्भुत अभियान जी, राम जी उठ कर भागे।रंग लेकर दौड़े हनुमान जी राम जी उठ कर भागे।
राम पुकारे भरत दौड़ो बचाओ। भरत जी बोले आज हमें ना बुलाओ। लखन भी छुपकर कान खुजाए। भैया हमें आज कुछ ना सुनाएं। सिया मंद मंद छेड़े मुस्कान जी, राम जी उठ कर भागे।रंग लेकर दौड़े हनुमान जी राम जी उठ कर भागे।
मां कौशल्या ने झाप लिए राम को। बोली अब रामचंद्र निकलेंगे शाम को। कपी बोले रंगे बिना अब ना आराम हो। सूर्य देव आज मत होने देना शाम हो। वरना बानर के कौन है ठिकान जी,राम जी उठ कर भागे।रंग लेकर दौड़े हनुमान जी राम जी उठ कर आए। भक्तों से हमेशा हारे भगवान जी राम जी उठ कर भागे।
रामजी आये रंग लगवाए। श्री रघुवीर हृषि उर लाये। रंग में रंगे श्री राम जी बाजा होली के बाजे।