म्हाने प्यारा घणा लागे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया । चोखा घणा लाँगे है, बाबा थारा कुंकु रा पगलिया ।
कुंकु रा पगलिया, नेनोड़ा पगलिया, म्हारे मन में भावे है, बांबा थारा कुंकुं रा पगलिया। मन में भावे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया।म्हाने प्यारा घणा लागे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया ।
बीज चानणी लियो अवतार बाबा, गाँव रूणीचो दियो पल में तार बाबा, भैरू रागस रोकियो संहार बाबा, मन हरषावे है, बाबा थाटा कुंकुं रा पगलिया।म्हाने प्यारा घणा लागे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया ।
पीरा रो तो पीर बाबो है नेजाधारी । परचा है भारी बाबो लीले री सवारी । पूजे ध्यावे बाबा थांने नर नारी । सुख पहुँचावे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया।म्हाने प्यारा घणा लागे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया ।
हरजी भाटी थारे चॅवर ढलावे । लाछा सुगणा आरती है गावे । हरे चरणों में पुण्य है कमावे ,जनम तिरावे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया।म्हाने प्यारा घणा लागे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया ।
द्वारका में धाम थांरो रुणीचा में धाम है। राम भी है नाम थांरो विष्ण भी नाम है। तीन लोक में तो थारा मोटा-मोटा धाम है। भाग जगावे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया ।म्हाने प्यारा घणा लागे है, बाबा थारा कुंकुं रा पगलिया ।