तर्ज़ – मोरछड़ी थारे हाथा म
मोर छडी लहरावै जी श्याम नजर महानै आवै जी …
चाल पड्यो खाटू स म्हारो, श्याम धणी।।चाल पड्यो खाटू स म्हारो, श्याम धणी।।
मोर छडी है कुंजी-पूंजी मिली जो श्याम कन्हैया से।तीन वाण तरकस म सोहवै मिल्या जो माँ जगदम्बा स ।।
कलयुग को देव कुहावै जी,घर-घर पूज्यो जावै जी।सब भगतां न लागै प्यारो श्याम धणी ।
मोर छडी लहरावै जी,
देख रही है दुनियाँ सारी मोर छडी की सकलाई।
खुल गया ताला मंदिरका ली श्याम बहादुर अंगड़ाई ।।
हारया न देवै सहारो जी,विपदा म दौड्यो आवै जी,करै नही जी देर म्हारो श्याम धणी ।
मोर छडी लहरावै जी,
आलूसिंहजी मोहन दास श्याम थारा गुणगान करै।
‘टीकम’ तो है दास चरण को हर पल थारो ध्यान धरै।पलकां बिछायाँ बैठ्यो जी।दर्शन म्हानै देदयो जी,
चढ़ लीले पर आयो म्हारो श्याम धणी।
मोर छडी लहरावै जी…….