तर्ज- तुमको देखा तो।
तुमको पाया,तो ये निखार आया,
टूटे दिल को,मेरे करार आया,
तुम को पाया,तो ये निखार आया।
ना ही नरसी, नाही सुदामा मैं, फिर भी क्यों बन के, तू मेरा यार आया, टूटे दिल को, मेरे करार आया, तुम को पाया, तो ये निखार आया।
गलतियो का,मैं एक पुलिंदा हूँ, फिर भी क्यों तुझको, मुझपे प्यार आया, टूटे दिल को, मेरे करार आया, तुम को पाया, तो ये निखार आया।
अब तो एक बात, मेरे आई समझ,
तू मिला उसको, जो भी हार आया, टूटे दिल को,
मेरे करार आया, तुम को पाया, तो ये निखार आया।
‘श्याम’ को डर, नही है पतझड़ से, बनके जीवन में, तू बहार आया,टूटे दिल को,मेरे करार आया,
तुम को पाया, तो ये निखार आया।