श्याम तुम सौ नजरिया लगाई लूगी -2
नैनन बिच मूरत बसाय लूँगी।।
मेरो श्याम तो सुघड़ सलोनो है,
छवि मोहक और मन मोहनो है।
जाकूँ मनसों अपनो बनाय लूंगी -2श्याम तुम सौ नजरिया लगाई लूगी -2
नैनन बिच मूरत बसाय लूँगी।।
है श्याम बड़ौ ही उत्पाती,
जाके संग रहे संगी साथी
जाकूँ करके इशारों बुलाय लुंगी-2 श्याम तुम सौ नजरिया लगाई लूगी -2
नैनन बिच मूरत बसाय लूँगी।।
आय गयौ महीना सावन को,
झूलन को और झूलावन कौ।।
जाकूँं अपने संग झूलाय लूंगी-2 श्याम तुम सौ नजरिया लगाई लूगी -2
नैनन बिच मूरत बसाय लूँगी।।
जब आवे याद तो रोय लूंगी,
पर मुख सौ नेक ना बोलूंगी।
हवै मगन मैं अंसुआ बहाय लूंगी।श्याम तुम सौ नजरिया लगाई लूगी -2
नैनन बिच मूरत बसाय लूँगी।।