तर्ज,मनिहारी का भेष
कृष्ण दर्शन को मन ललचाया शिव भोला गोकुल में आया।
झोली कांधे धरी हाथों ले ली छड़ी। बंदर को हनुमान बनाया।शिव भोला गोकुल में आया।कृष्ण दर्शन को मन ललचाया शिव भोला गोकुल में आया।
गए नंद बाबा के और डेरा जमा। डम डम डम डमरू बजाया। शिव भोला गोकुल में आया।कृष्ण दर्शन को मन ललचाया शिव भोला गोकुल में आया।
शंकर डमरू की ताल बूढ़े बच्चे जवान। सब ने आकर घेरा बनाया।शिव भोला गोकुल में आया।कृष्ण दर्शन को मन ललचाया शिव भोला गोकुल में आया।
कहां थे तुम हरी काहे देरी करी। मेरे मन को क्यों तड़पाया। शिव भोला गोकुल में आया।कृष्ण दर्शन को मन ललचाया शिव भोला गोकुल में आया।