कुंज में बिराजै घनश्याम राधे-राधे।
श्याम-राधे-राधे घनश्याम राधे-राधे।।
कुंज में बिराजै घनश्याम राधे-राधे।
उनकी रहमत का झूमर सजा है।
मुरली वाले की महफिल सजी है,
मुझको महसूस यह हो रहा है।
तेरी महफिल में करुणा भरी है।।१।।
कुंज में बिराजै कुंज में बिराजै घनश्याम राधे-राधे।
तेरे दर से खाली मैं न जाऊँ।
बात आकर यहाँ पर अड़ी है,
तुझको अपना समझकर मैं आयी।
मांगने को तो दुनिया पड़ी है।।२।।
कुंज में बिराजै घनश्याम राधे-राधे।