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Ghata chadhi ghanghor o mohan teri patang meri dor,घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर,krishna bhajan

घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।

घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।

राधा के माथे टीका विराजे । बिन्दियाँ पे नाच रहे मोर, हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।



राधा के कानों मे कुण्डल विराजे। नथनी पे नाच रहे मोर, हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।



राधा के गले मे माला विराजे । हरवे पे नाच रहे मोर, हो मोहन तेरी पतंग मेरी डोर।घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।



राधा के हाथों में चुड़ला विराजे ।
मेहंदी पे नाच रहे मोर, हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर ।घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।



राधा के कमर मे तगड़ी विराजे । गुच्छे पे नाच रहे मोर ,हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।



राधा के पैरो मे पायल विराजे। महावर पे नाच रहे मोर, हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर ।घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।



राधा के अंग पे साड़ी विराजे ।
चुनरी पे नाच रहे मोर, हो मोहन तेरी पंतग मेरी डो।घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।





जे कान्हा तु राध प्यारी ।
जोड़ी पे नाच रहे मोर, हो मोहन तेरी पंतग मेरी डो




घटा चढी घनघोर हो मोहन तेरी पंतग मेरी डोर।

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