छलिया नन्द को हमें तो जोगनिया बनाय गयो री।हमें तो वैरागन बनाय गयो री।
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे जाके,
हमारे सिर जटा धराय गयौ री। छलिया नन्द को हमें तो जोगनिया बनाय गयो री।हमें तो वैरागन बनाय गयो री।
कानो में कुण्डल गले वनमाला,
हमारे अंग भभूति रमाय गयो री। छलिया नन्द को हमें तो जोगनिया बनाय गयो री।हमें तो वैरागन बनाय गयो री।
आप तो जाय द्वारका धाये,
हमें तो वृन्दावन बसाय गयो री। छलिया नन्द को हमें तो जोगनिया बनाय गयो री।हमें तो वैरागन बनाय गयो री।
चन्द्रसखी भज बालकृष्ण छवि,
हमें तो हरिदासी बनाय गयो री।
छलिया नन्द को हमें तो जोगनिया बनाय गयो री।।
छलिया नन्द को हमें तो जोगनिया बनाय गयो री।हमें तो वैरागन बनाय गयो री।