जय गोविंदा जय गोपाल जय गोविंदा जय गोपाल ।
हस हस रुकमणी कृष्ण जी से पूछे मुखड़ा कैसे हो गया लाल जय गोविंदा जय गोपाल । म्हारा ऐ मन्दिर मे होली खेले। रंग से मुखड़ा हो गया लाल, जय गोविंदा जय गोपाल ।
हस हस रुकमणी कृष्ण जी पुछे।
अखियाँ कैसे हो गई लाल जय गोविंदा जय गोपाल ।म्हारा ऐ मन्दिर में हवन हो रहा।
धुआं से अखियाँ हो गई लाल, जय गोविंदा जय गोपाल ।
हस हस रुकमणी कृष्ण जी से पुछे हथेली कैसे हो गई लाल, जय गोविंदा जय गोपाल। म्हारा ऐ मन्दिर मे महेंदी को पेड से, महेंदी तोड़ते हो गया लाल, जय गोविंदा जय गोपाल।
हस- हस रुकमणी कृष्ण जी से पुछे
धोती कैसे हो गई लाल, जय गोविंदा जय गोपाल।पाट पिताम्बर टसरी की धोती।
धोबी ने कर दई रंग से लाल, जय गोविंदा जय गोपाल ।
तु तो ऐ रुकमणी बहुत बावली,
म्हारो हो गयो तुलसा से ब्याह, जय गोविंदा जय गोपाल।।
जे कृष्ण मैने बेरो होतो ,
तुलसा ने देती पाड़ बगाय, जय गोविंदा जय गोपाल ।