दिलदार कन्हैया ने, मुझको अपनाया है, रस्ते से उठाकर के, सीने से लगाया है।
ना कर्म ही अच्छे थे, ना भाग्य एकल मेरा ना सेवा करी तेरी, ना नाम कभी तेरा ये तेरा बड़प्पन है, मुझे प्रेम सिखाया है।
रस्ते से उठाकर के, सीने से लगाया है।
जो कुछ हूँ आज प्रभु, सब तेरी मेहरबानी। ‘शत शत है नमन तुमको, महाभारत के दानी। तूने ही दया करके, जीवन महकाया है। रस्ते से उठाकर के, सीने से लगाया है। दिलदार कन्हैया ने, मुझको अपनाया है, रस्ते से उठाकर के, सीने से लगाया है।
प्रभु रखना सँभाल मेरी, ये मन ना भटक जाए। ‘बस इतना ध्यान रहे, कोई दाग ना लग जाए। बदरंग ना हो जाए, जो रंग चढ़ाया है। रस्ते से उठाकर के, सीने से लगाया है।दिलदार कन्हैया ने, मुझको अपनाया है, रस्ते से उठाकर के, सीने से लगाया है।
एहसास है ये मुझको, चरणों में सुरक्षित है। एहसान बहुत तेरे, कभी भूले नहीं मुझको। श्री श्याम सुधामृत का, स्वाद चखाया है ।रस्ते से उठाकर के, सीने से लगाया है। दिलदार कन्हैया ने, मुझको अपनाया है, रस्ते से उठाकर के, सीने से लगाया है।