अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊँगा,
सागर इतना गहरा है तो,
डूब प्रभु मैं जाऊँगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊँगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो।
क्रोध के कारण अंधे होकर,
तुमको भी ललकार दिया,
जब जी चाहा पूजा की और,
जब चाहा दुत्कार दिया,
नादानी की आड़ में कब तक,
गलती में दोहराऊँगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊँगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो।
कुछ तो मेरे करम हैं ऐसे,
जिन पर में शर्मिंदा हूँ,
सर पर क़र्ज़ हैं दुनिया के,
बस इसलिए में ज़िंदा हूँ,
तुमने भी मुँह फेर लिया तो,
और कहाँ में जाऊँगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊँगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो।
अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊँगा,
सागर इतना गहरा है तो,
डूब प्रभु मैं जाऊँगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो,
वरना मैं गिर जाऊँगा,
अब तो आकर बाँह पकड़ लो।