तर्ज- तुझ संग प्रीत लगाई।
तुझ संग प्रीत लगाई मोहना, मोहना मोहना ओ कान्हा, ओ रे नंदलाला ओ रे गोपाला, तुझ संग प्रित लगाई मोहना, मोहना मोहना ओ कान्हा।
आजा मेरे कान्हा तेरी बाट निहारूं, अखियों की पलकों से राह बुहारूं, नैणा का कलशा लिया चरण धुलाऊँ, एक तू ही मन को है भाया मोहना, मोहना मोहना ओ कान्हा, ओ रे नंदलाला ओ रे गोपाला, तुझ संग प्रित लगाई मोहना,मोहना मोहना ओ कान्हा ।
मैंने तेरी सूरत को मन में बसाया, सांवली सूरत का कान्हा कैसा नशा छाया, तन में मन में तू ही समाया, मैं हूँ तुझपे वारि मोहना, मोहना मोहना ओ कान्हा, ओ रे नंदलाला ओ रे गोपाला, तुझ संग प्रित लगाई मोहना, मोहना मोहना ओ कान्हा ।
ऋतू बसंत जमुना तट आजा, प्यारी प्यारी बांसुरी की तान सुना जा, आकर के विश्वास दिला जा, अब तो याद तेरी आए मोहना, मोहना मोहना ओ कान्हा, ओ रे नंदलाला ओ रे गोपाला, तुझ संग प्रित लगाई मोहना, मोहना मोहना ओ कान्हा ।
तुझ संग प्रीत लगाई मोहना, मोहना मोहना ओ कान्हा, ओ रे नंदलाला ओ रे गोपाला, तुझ संग प्रित लगाई मोहना, मोहना मोहना ओ कान्हा ।