दही बेचन को राधा चली, कन्हैया जी को प्यारी लगी ॥
गोरे-गोरे मुखडे पे लाल-लाल बिंदीया उपर से माँग सजी, कन्हैया जी को प्यारी लगी ।दही बेचन को राधा चली, कन्हैया जी को प्यारी लगी।
गोरे-गोरे हाथों में हरी-हरी चुडीया, उपर से मेहँदी रची, कन्हैया जी को प्यारी लगी ।दही बेचन को राधा चली, कन्हैया जी को प्यारी लगी।
गोरे-गोरे पावो में छोटी-छोटी बिछीया। उपर से पायल बजी, कन्हैया जी को प्यारी लगी ॥दही बेचन को राधा चली, कन्हैया जी को प्यारी लगी।
गोरे गोरे मुख पर लाल-लाल बिंदिया, ऊपर से माँग भरी, कन्हैया जी को अच्छी लगी।दही बेचन को राधा चली, कन्हैया जी को प्यारी लगी।
गोरे-गोरे हाथों में हरी-हरे चुड़ियाँ,
ऊपर से मेहंदी लगी, कन्हैया जी को अच्छी लगी।
गोरे-गोरे तन पर नीली नीली साड़ी,
ऊपर से चुनरी सजी, कन्हैया जी को अच्छी लगी।
गोरे-गोरे पाँवों में बजनी सी पायल,
ऊपर से महावर लगी, कन्हैया जी को अच्छी लगी।दही बेचन को राधा चली, कन्हैया जी को प्यारी लगी