तर्ज, मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां है
मां के हाथों में सुंदर चूड़ियां है। माथे सोहे मुकुट लाल बिंदिया है। चली अंबे वह जगदंबे, संग लंगुरिया है।मां के हाथों में सुंदर चूड़ियां है। माथे सोहे मुकुट लाल बिंदिया है।
चमके चक्र सुदर्शन हाथों में। चांद तारों सितारों वाली रातों में। दुखों को भूल चढ़ा के फूल कटे सब बेड़ियां है।मां के हाथों में सुंदर चूड़ियां है। माथे सोहे मुकुट लाल बिंदिया है।
लंबी लंबी है राहे मां के पर्वत की। अपने भक्तों की पूरी सब हसरत की। बना पर्वत पर है मंदिर बहुत सी सीढ़ियां है। मां के हाथों में सुंदर चूड़ियां है। माथे सोहे मुकुट लाल बिंदिया है।
दर्शन पाऊं नहीं तो मेरा दिल धड़के। घरवालों से आऊं में तो लड़ लड़के। मिले फुर्सत नहीं घर से बड़ी मजबूरियां है। मां के हाथों में सुंदर चूड़ियां है। माथे सोहे मुकुट लाल बिंदिया है।