भोले ने तैयारी कर ली हरिद्वार के लिये
नंदी पर बैठ के चल दिए मौज बहार के लिए।
भोले ने बहुत समझाई
गौरा की समझ ना आई
वो बोली भाँग तब घोटूँ करवा दो मेरी घुमाई
भोले ने समाधि तोड़ी अपनी गौरा के लिए
नन्दी पे बैठ के चल दिए मौज बहार के लिए।
मुझे देदो भाँग का लोटा उठा लो कुण्डी सोटा
और बैठ के गंगाकिनारे आनंद से पी लें लोटा
शिव पार्वती जी आये जग उधार के लिए
नन्दी पे बैठ के चल दिए मौज बहार के लिए।
भोले मंद मंद मुस्काए गौरा फूली ना समाए
गंगा माँ के दर्शन को महादेवधरा पे आए
भोलागौरा माँ लाए हरिद्वार केलिए
नन्दी पे बैठ के चल दिए मौज बहार के लिए।
भोले ने बहुत समझाई
गौरा की समझ ना आई
वो बोली भाँग तब घोटूँ करवा दो मेरी घुमाई
भोले ने समाधि तोड़ी अपनी गौरा के लिए
नन्दी पे बैठ के चल दिए मौज बहार के लिए।