तुमने जो छोड़ा तो, किधर जाऊँगा, श्याम सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा, मेरे सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा ।।
तुमसे छिपी तो मेरी, हालत नहीं है,
अब ना संभाला तो,सहूँ और ग़म मैं इतनी, ताक़त नहीं है, बिखर जाऊँगा, श्याम सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा, मेरे सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा ।।
तुमने जो छोड़ा तो, किधर जाऊँगा, श्याम सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा, मेरे सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा ।।
हालत पे मेरी दुनिया, ताने कसेगी, बनाकर मज़ाक मेरा, दुनिया हँसेगी, तेरे दर से खाली मैं, अगर जाऊँगा, श्याम सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा, मेरे सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा ।।
तुमने जो छोड़ा तो, किधर जाऊँगा, श्याम सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा, मेरे सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा ।।
चरणों में तेरे सबकुछ, अर्पण है मेरा, ‘अर्पित’ ‘शुभम’ का सारा, जीवन है तेरा, तुझसे बिछड़ के तो, मैं मर जाऊँगा, श्याम सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा, मेरे सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा ।।
तुमने जो छोड़ा तो, किधर जाऊँगा, श्याम सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा, मेरे सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा ।।
तुमने जो छोड़ा तो, किधर जाऊँगा, श्याम सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा, मेरे सर पे रख दो हाथ, मैं संवर जाऊँगा ।।