रिमझिम रिमझिम करती म्हारी, मात भवानी आवे रे आगे आगे भेरुजी ए, घुंघरिया घमकावे है।रिमझिम रिमझिम करती ओ म्हारी।
जगमग हार गले में चमके, कुण्डल कानो माये जी। लाल रूप माथे पर बिंदिया, शोभा वरणी न जाये जी। रिमझिम रिमझिम करती म्हारी, मात भवानी आवे रे ।
छम छम पग में पायल बाजे, बिछिया री छवि न्यारी ओ। तारा जड़िया चुनड़ी में, शोभा लागे प्यारी ओ । रिमझिम रिमझिम करती म्हारी, मात भवानी आवे रे ।
त्रिशूल माता रे हाथ में सोवे, नथणी नाक रे माहि ओ। जगमग जोता जागे हो माता, मोहनी रूप धराई ओ । रिमझिम रिमझिम करती म्हारी, मात भवानी आवे रे ।
त्रिशूल माता रे हाथ में सोवे, नथणी नाक रे माहि ओ। जगमग जोता जागे हो माता, मोहनी रूप धराई ओ । रिमझिम रिमझिम करती म्हारी, मात भवानी आवे रे ।
सिंह चढ़े ने आवो भवानी, भक्त मंडल गावे है। अब तो म्हाने दर्शन देवो, भक्त घणा सुख पावे है। रिमझिम रिमझिम करती म्हारी, मात भवानी आवे रे ।
रिमझिम रिमझिम करती म्हारी, मात भवानी आवे रे आगे आगे भेरुजी ए, घुंघरिया घमकावे है।रिमझिम रिमझिम करती ओ म्हारी।